माता की भेंटे – श्री नरेन्द्र चंचल जी

Narendra Chanchal mata ki bhete
श्री नरेन्द्र चंचल जी के प्रसिद्ध जगराता एवं माता के भजनों का संग्रह

https://www.youtube.com/watch?listType=playlist&width=474&height=266&list=PLXqUe_y7wDWA7tBbKN8hk2xPsLxCO4vbe&plindex=0&layout=gallery

श्री दुर्गा भजन (भोजपुरी)- श्री भरत शर्मा जी

Bharat Sharma bhojpuri bhakti songs
श्री भरत शर्मा जी के प्रसिद्ध भोजपुरी देवी गीतों का संग्रह

https://www.youtube.com/watch?listType=playlist&width=474&height=266&list=PLuIXSbvI-DKa20BY0oaaWvf6i3xD5ts9Z&plindex=0&layout=gallery

भोजपुरी देवी गीत – श्री मनोज तिवारी ‘मृदुल’ जी

श्री मनोज तिवारी ‘मृदुल’ जी के प्रसिद्ध भोजपुरी देवी गीतों का संग्रह

https://www.youtube.com/watch?listType=playlist&width=474&height=266&list=PLXqUe_y7wDWBgAZqPT45ZWmKNa091Lavt&plindex=0&layout=gallery

श्री दुर्गा भजन (भोजपुरी) – श्री पवन सिंह जी

Pawan singh ke bhojpuri bhakti geet श्री पवन सिंह जी के प्रसिद्ध भोजपुरी देवी गीतों का संग्रह

https://www.youtube.com/watch?listType=playlist&width=474&height=266&list=PLXqUe_y7wDWAGyvxZQ5RrjscwQiD1TIaT&plindex=0&layout=gallery

श्री दुर्गा भजन – श्री राकेश श्रीवास्तव जी

Rakesh Srivastava singer collection of Hindi and Bhojpuri devotional songs

श्री राकेश श्रीवास्तव जी के हिंदी एवं भोजपुरी भजनों का संग्रह

 

https://www.youtube.com/watch?listType=playlist&width=474&height=266&list=PLXqUe_y7wDWADgHxbCoLocPR-BwBlgnLq&plindex=0&layout=gallery

माँ भगवती जागरण – श्री विनोद अरोरा जी

जय माँ झंडेवाली
दिल्ली के प्रसिद्ध भगवती जागरण गायक श्री विनोद अरोरा जी के जगरातों एवं भजनों का संग्रह

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?layout=gallery&listType=playlist&list=PLuIXSbvI-DKY9dYN8skjuPFxFH9Mv8GoR[/embedyt]

​माँ थावेवाली की कथा – Maa Thawewali Ki Katha

Jai Maa Thawewali
जय माँ थावेवाली

माँ दुर्गा तीनो लोको में सर्व शक्तिमान है।  ब्रहमांड में मौजूद हर तरह की शक्ति इन्ही की कृपा से प्राप्त होती है और अंत में इन्ही में समाहित हो जाती है  इसीलिए माता दुर्गा को आदि शक्ति भी कहा जाता है देवताओ ने भी जब राक्षसों के साथ युद्घ में स्वयं को कमजोर महसूस किया तब माँ दुर्गा ने उनके शरणागत होने पर प्रचंड रूप धारण करके राक्षसों का संहार किया और देवताओ एवं धर्म की रक्षा की।

इस जगत की पालनहार माता ही है जिनकी कृपा से सबकुछ होता है। इसलिए इन को जगत जननी भी कहा जाता है। माँ दुर्गा अपने भक्तो और धरती पर धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए अनेक रूप के प्रकट हुई है । भक्तगण इनको अलग-अलग रूपों और अलग-अलग नामो से पूजते है । कोई शीतला माता, कोई काली माता, कोई मंगला माता तो कोई माँ वैष्णवी के रूप में पूजता है। माँ दुर्गा के अनेक रूप और नाम है। माँ के इन्ही अनेक रूपों और नमो में से एक माँ थावेवाली भी है।

बिहार राज्य के गोपालगंज शहर से मात्र 6 किलोमीटर की दुरी पर सिवान जानेवाले राष्ट्रिये राजमार्ग पर थावे नाम का जगह है वही माता थावेवाली का प्रसिद्द मंदिर है। माँ थावेवाली को सिंहासिनी भवानी, रहषु भवानी और थावे भवानी भी कहा जाता है।  माँ थावेवाली असम के कामरूप से जहाँ माँ कामख्या का बड़ा प्राचीन और भव्य मंदिर है थावे आई थी इसलिए इनको कावरू कामख्या भी कहा जाता है।

प्राचीन काल में थावे में माता कामख्या के बहुत सचे भक्त श्री रहषु भगत जी रहते थे। वो माता की बहुत सच्चे मन से भक्ति करते थे और माता भी उनकी भक्ति से प्रसन्न थी। माता की कृपा से उनके अन्दर बहुत सी दिव्य शक्तिया भी थी। लेकिन वहा के तत्कालीन राजा मनन सिंह को उनकी भक्ति पसंद नहीं थी। वो रहषु भगत जी को ढोंगी-पाखंडी समझते थे । एक दिन राजा ने अपने सैनिको को रहषु भगत जी को पकड़कर दरबार में लाने का आदेश दिया ।  दरबार में आने पर राजा ने रहषु भगत जी को ढोंगी-पाखंडी आदि अभद्र शब्दों का प्रयोग कर अपमानित किया और उनके माता के सच्चे भक्त होने का मजाक उडाया । रहषु भगत जी ने राजा को विनम्रता पूर्वक समझाया की माता की कृपा से ही मै सबकुछ करता हूँ और मेरी भक्ति से प्रसन्न होकर वो मुझे दर्शन भी देती है । राजा मनन सिंह के घर भी माता की पूजा होती थी लेकिन माता ने कभी दर्शन नही दिया था और चुकी रहषु भगत जी एक अछूत जाती के थे और माता उनको दर्शन देती है ये बात रहषु भगत जी से सुनते ही राजा अत्यंत क्रोधित हो उठे और भगत जी को चुनौती दिए की यदि तुम वास्तव में माता के सच्छे भक्त हो तो मेरे सामने माता को बुलाकर दिखाओ नहीं तो तुम्हे दंड दिया जायेगा । भगत जी ने राजा को बार-बार और विनम्रता पूर्वक समझाया की महाराज अगर माता प्रकट हो गई तो अनर्थ हो जायेगा इसलिए आप अपना हठ छोड़ दीजिये और सच्चे मन से माता की भक्ति कीजिये । लेकिन राजा मनन सिंह अपने हठ पर अडे रहे । अब भगत जी के पास माता को बुलाने के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं बचा था । भगत जी ने माता का आह्वाहन किया । माता ने कामरूप से प्रस्थान किया और कोलकाता, पटना, आमी आदि स्थानों से होते जहाँ वो क्रमश: काली, पटनदेवी, अमिका भवानी आदि नमो से प्रसिद्ध है, थावे पहुची । माता ने भगत जी के मस्तक को फाड़कर अपना कंगन दिखाया । उनके आगमन से पुरे राज्य में प्रलय जैसी स्थिति हो गई । राजा और उनके राज-पाट का अंत हो गया ।

माता ने जहा दर्शन दिया वही उनके मंदिर का निर्माण किया गया । रहशु भगत जी मंदिर भी माता के मंदिर के पास ही है । यह कहा जाता है की माँ थावेवाली के दर्शन के पश्चात रहशु भगत जी का दर्शन भी अवश्य करना चाहिए तभी माता प्रसन्न होती है ।

माँ थावेवाली बहुत दयालु और कृपालु है । अपने शरण में आये हुवे सभी भक्तो का कल्याण करती है । हर सुख-दुःख में लोग माँ के शरण में जाते है और करुणामई माँ किसी को भी निराश नहीं करती है सबकी मनोकामना पूरी करती है । थावे के आस-पास किसी के घर शादी-व्याह जैसा शुभकार्य हो या किसी को कोई दुःख बीमारी हो हल परिस्थिति में लोग माता की शरण में जाते है और माता उनका कार्य सिद्ध करती है मंगल करती है । माँ हर घडी और हर सुख-दुःख में अपने भक्तो पर करुणा और ममता की छाँव रखती है ।
देश-विदेह में रहने वाले लोग जब साल-दो साल पर अपने घर आते है तो सबसे पहला और सबसे महतापूर्ण काम होता है माता थावेवाली का दर्शन करना । उनसे अपने और अपनों के लिए सुखद और समृद्ध जीवन की कामना करना । प्रतिदिन हजारो की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते है और अपनी मनोकामनाये पूरी करते है । परन्तु अफ़सोस इस बात की है की इतना अधिक आस्था और श्रधा का केंद्र होते हुवे भी इस स्थान का विकाश और व्यस्था जितना बढ़िया होना चाहिए उतना नहीं हुआ है । आज भी तीर्थयात्रियों के लिए दर्शन और विश्राम आदि की संतोषजनक व्यवस्था नहीं हो पायी है । और यह स्थान इतना प्रचीन होते हुवे भी एक क्षेत्र विशेष तक ही सिमित है । अतः आम जनता और प्रशासन को मिल-जुल कर माता के स्थान का समुचित विकाश और व्वस्था करना चाहिए ताकि थावे वाली माता का स्थान विश्व के मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन कर सामने आये ।

थावे की चर्चा हो तो वहा के प्रशिद्ध और अति स्वादिष्ट मिठाई पुडिकिया को कैसे भुलाया जा सकता है । आप जब भी थावे जाये पुदुकिया मिठाई अवश्य खाये ।

जय माता की !

– अजीत तिवारी
काशी टेंगराही, गोपालगंज
www.jaimaathawewali.com

 

मां दुर्गा के श्लोक व क्षमा प्रार्थना


Godess Navadurga

मां दुर्गा के श्लोक
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयम्‌ ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चंद्रघण्टेति कुष्मांडेति चतुर्थकं॥
पंचमं स्कंदमातेति, षष्टम कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति, महागौरीति चाष्टमं॥
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः॥

क्षमा प्रार्थना
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्‌।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत।
यां गतिं सम्वाप्नोते न तां बह्मादयः सुराः॥
सापराधो स्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके।
इदानीमनुकम्प्योहं यथेच्छसि तथा कुरु॥
अक्षानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्नयूनमधिकं कृतम्‌ ॥
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि॥
कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रेहे।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि॥
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतमं जपम्‌।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि॥

श्रीदुर्गा चालीसा

Ambey Bhawani

श्रीदुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तन बीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥

आभा पुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपु मुरख मोही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जियऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

श्रीदुर्गा जी की आरती

Mata Darbar

श्रीदुर्गा जी की आरती

जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी । तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को । उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

कनक समान कलेवर, रक्तांबर राजै । रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी । सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती । कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योती ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे । मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी । आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैंरू ।बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता । भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी । मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अंबे गौरी…
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती । श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे । कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अंबे गौरी…