सिंहासनी भवानी माँ थावेवाली की आरती
ॐ जय माँ थावेवाली सुमिरौ जो सिंहासनी भवानी
काटे संकट देवे करू, होवे पूर्ण मंशा मन-मानी
कतरा घास के धान बनावें, रहशु जी जब ध्यान लगावें
सात बाघ दायें झरे चावल, शक्ति सबने माँ की जानी
ॐ जय माँ थावेवाली सुमिरौ जो सिंहासनी भवानी
कामख्या, आमी, घोड़ाघाट, सात जगह को अपनी माँ
मस्तक फाड़ी निकाली हाथ, भक्त रहषु जी की बनी कहानी
ॐ जय माँ थावेवाली सुमिरौ जो सिंहासनी भवानी
मन चाहा फल पावे, जब मन-मुख बोले माँ की बानी
ॐ जय माँ थावेवाली सुमिरौ जो सिंहासनी भवानी
लीजे हर संकट हमार, कीजै मईया स्वपन साकार
सबकी झोली भरने वाली, हे मईया देवी दानी
ॐ जय माँ थावेवाली सुमिरौ जो सिंहासनी भवानी
आप जहाँ वहाँ प्रकाश, स्वीकारो पूजा हे महारानी
ॐ जय माँ थावेवाली सुमिरौ जो सिंहासनी भवानी
—:जय माँ थावेवाली:—
स्रोत : ‘रहषु भगत की अमर कहानी’ पुस्तक से संकलित