Navratri 2019 : कब है शारदीय नवरात्रि, जानिए खास तिथियां

जय माता की 
शारदीय नवरात्रि 2019 की प्रमुख तिथियां

नवरात्रि में नौ दिनों तक दुर्गा माता की पूजा-अर्चना की जाती है। यहां पाठकों के लिए प्रस्तुत है आश्विन मास की शारदीय नवरात्रि 2019 की प्रमुख तिथियां, आइए जानें कब से है नवरात्रि पर्व और कब मनेगा दशहरा पर्व।

 

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नवरात्रि की तिथियाँ इस प्रकार है :

नवरात्रि दिन 1 (प्रतिपदा)
घटस्थापना : मां शैलपुत्री पूजा, 29 सितंबर 2019 (रविवार)

नवरात्रि दिन 2 (द्वितीया)
मां ब्रह्मचारिणी पूजा, 30 सितंबर 2019 (सोमवार)

नवरात्रि दिन 3 (तृतीया)
मां चंद्रघंटा पूजा, 1 अक्टूबर 2019, (मंगलवार)

नवरात्रि दिन 4 (चतुर्थी)
मां कूष्मांडा पूजा, 2 अक्टूबर 2019 (बुधवार)

नवरात्रि दिन 5 (पंचमी)
मां स्कंदमाता पूजा, 3 अक्टूबर 2019 (गुरुवार)

नवरात्रि दिन 6 (षष्ठी‌)
मां कात्यायनी पूजा, 4 अक्टूबर 2019 (शुक्रवार)

नवरात्रि दिन 7 (सप्तमी)
मां कालरात्रि पूजा, 5 अक्टूबर 2019 (शनिवार)

नवरात्रि दिन 8 (अष्टमी)
मां महागौरी, दुर्गा महा अष्टमी पूजा, दुर्गा महा नवमी पूजा
6 अक्टूबर 2019, (रविवार)

नवरात्रि दिन 9 (नवमी)
मां सिद्धिदात्री नवरात्रि पारणा
7 अक्टूबर 2019, (सोमवार)

नवरात्रि दिन 10 (दशमी)
दुर्गा विसर्जन, विजय दशमी
8 अक्टूबर 2019, (मंगलवार)।

आज का पञ्चांग प्रतिदिन के लिए

शुक्रवार 22 सितंबर 2023 – आज की तिथि, नक्षत्र, वार, योग, सूर्य, चंद्रमा की स्थिती, सूर्योदय व सूर्यास्त का समय आदि की पूरी जानकारी

Aaj ka panchang

चैत्र नवरात्रि 18 मार्च से 26 मार्च 2018 शुभ मुहूर्त

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जय माता की!

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 18 मार्च 2018 से 26 मार्च 2018 तक है

चैत्र नवरात्र घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 18 तारीख को सुबह 06:31 मिनट से सुबह 07:46 मिनट तक रहेगा इसकी कुल अवधि एक घंटे 15 मिनट की है।

चैत्र नवरात्र‍ि में 24 मार्च को अष्टमी रहेगी। जो भक्त पूरे 9 दिन का व्रत रखेंगे उनका पारण 26 मार्च को है।

विस्तार से तिथियाँ इस प्रकार है

नवरात्रि का दिन दिनांक तिथि देवी का पूजन
नवरात्रि दिन 1 18 मार्च 2018 (रविवार)  प्रतिपदा  शैलपुत्री पूजा, कलश स्थापना
नवरात्रि दिन 2 19 मार्च 2018 (सोमवार)  द्वितीया  ब्रह्मचारिणी पूजा
नवरात्रि दिन 3  20 मार्च 2018 (मंगलवार)  तृतीया  चंद्रघंटा पूजा
नवरात्रि दिन 4 21 मार्च 2018 (बुधवार)  चतुर्थी  कुष्मांडा पूजा
नवरात्रि दिन 5 22 मार्च 2018 (गुरुवार)  पंचमी स्कंदमाता पूजा
नवरात्रि दिन 6 23 मार्च 2018 (शुक्रवार)  षष्ठी  कात्यायनी पूजा
नवरात्रि दिन 7 24 मार्च 2018 (शनिवार)  सप्तमी, अष्टमी  कालरात्रि पूजा, महागौरी पूजा
नवरात्रि दिन 8 25 मार्च 2018 (रविवार)  अष्टमी, नवमी  राम नवमी
नवरात्रि दिन 9 26 मार्च 2018 (सोमवार)  दशमी नवरात्रि पारण

बलि प्रथा – एक घोर पाप

बलि प्रथा – एक घोर पाप

bali pratha ek ghor paap

 

जय माता की !

सनातन हिंदू धर्मं में कही भी इस बात की चर्चा नही की गई है किसी देवी-देवता को किसी पशु-पक्षी या अन्य जीव की बली देनी चाहिए या बली देने से मनोकामना पूर्ण होती है या बलि देना अनिवार्य है, फिर भी माँ दुर्गा या उनके अन्य रूपों को पशु-पक्षीयों की बली दी जा रही, वो माँ दुर्गा जिनको जगत-जननी कहा जाता है, मनुष्य, पशु-पक्षी आदी सभी जीव जिनके संतान है, जो ब्रह्मांड के सभी जीवो की परम ममतामई माँ है उनके ही सामने उनके संतानों की अंधविश्वासियों और धर्मान्धियों द्वारा गला रेत कर निर्दयता पूर्वक हत्या की जाती है, क्या अपने संतान की ये हालत देखकर माता को दुःख नही होता होगा ? क्या उनका कलेजा नही फटता होगा ? दुनिया की कोई भी माँ अपने संतान के आँख से आंशु का एक बूंद भी नही देख सकती फिर अपने ही संतानों की अपने आँखों के सामने हत्या होते देख कर वो जगत जननी माँ कितना दुखी होती होंगी ?

अपने व्यक्तिगत महत्वकंक्षाओं के लिए धर्मांध बनकर निर्दोष-बेजुबान पशु-पक्षीओं का बलि देना किसी भी दृष्टिकोण के उचित नहीं है | माता से कुछ मांगना ही है तो सच्चे मन से मांगे जैसे अपने माँ से आप मांगते है मातारानी अवश्य ही आपकी इक्षा पूरी करेंगी, पशु बलि देना जरुरी नहीं है अगर माँ को कुछ भेंट देना ही चाहते हैं तो उन्हें सच्ची श्रद्धा-भक्ति और सम्मान दीजिये, ममतामई माँ आपकी सभी मनोकामनाएं अवश्य ही पूर्ण करेंगी | यदि इसके अतिरक्त कुछ और भेंट करना चाहते है तो फल, पुष्प, नारियल, चुनरी आदि भेंट करें मातारानी अवश्य प्रसन्न होंगी एवं आपकी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगी |

जरा सोचिये क्या महान संतों जैसे तुलसी दास जी, स्वामी विवेकानंद जी, रहशु भगत जी, ध्यानु भगत जी आदि ने बलि दी थी क्या ?? बिल्कुल नहीं दी थी, फिर भी उन्होंने अपने आराध्य देव-देवी को अपनी भक्ति से प्रसन्न करके उनके साक्षात दर्शन किये |

हमारे वेदों-ग्रंथों में भी बलि निषेध है-

मा नो गोषु मा नो अश्वेसु रीरिष:।- ऋग्वेद 1/114/8
अर्थात- हमारी गायों और घोड़ों को मत मार

इममूर्णायुं वरुणस्य नाभिं त्वचं पशूनां द्विपदां चतुष्पदाम्।
त्वष्टु: प्रजानां प्रथमं जानिन्नमग्ने मा हिश्सी परमे व्योम।। – यजु. 13/50

अर्थात-  उन जैसे बालों वाले बकरी, ऊंट आदि चौपायों और पक्षियों आदि दो पगों वालों को मत मार

अतः आपसब से प्रार्थना है की इस कुप्रथा को समाप्त कराने में सहयोग करे, यदि कोई प्रथा बहुत लम्बे समय से चली आ रही हो तो यह जरुरी नहीं की उसे सुधारने के बजाय उसे हमेसा के लिए स्वीकार कर लिया जाये | जिस प्रकार हमारे देश से अनेक कुप्रथाएं जैसे की सती-प्रथा, बाल विवाह प्रथा आदि समाप्त की गयी है वैसे ही बलि प्रथा को भी समाप्त करना चाहिए |

ये बली देने का काम देश के कई अन्य मंदिरों के साथ-साथ थावेवाली माता के मन्दिर में भी होती है | आईये इस शुभ कार्य की शुरुआत माता थावेवाली के मन्दिर से करते है, लोगो को समझाते-बुझाते है की बली देना बंद करे और माता से क्षमा मांगे, करुनामई माँ उन्हें अवश्य क्षमा कर देंगी, आखीर कही–न-कही से शुरुवात करनी ही होगी तभी देश के बाकी हिस्सों में भी इसका अच्छा असर होगा और यह कुप्रथा समाप्त करने में मदद मिलेगी|

मित्रों आइये संकल्प ले की माता थावेवाली के मन्दिर में होनेवाले बली को अब और नही होने देंगे, बली देने वाले नासमझ लोगो को समझा-बुझाकर उन्हें सही रास्ते पर लायेंगे और जगत जननी माँ जगदम्बा के हिर्दय को अब और कष्ट नही पहुँचने देंगे |

आईये हम सब मिलकर बली देने वाले अपने मित्रो, परिजनों, पड़ोसियों एवं सगे-सम्बन्धियों आदि को जागरूक बनाये और ये घोर पाप और जघन्य अपराध करने से उन्हें रोके !

जय माता की !

माता थावेवाली की कृपा एवं आशीर्वाद से

अजित तिवारी
https://www.jaimaathawewali.com

(इस कुप्रथा को पूर्ण रूप से और यथाशीघ्र कैसे समाप्त किया जा सकता है आप अपना सुझाव अवस्य दिजिये| यदि आप बली प्रथा का समर्थन करते है तो इसके पक्ष में उचीत प्रमाण प्रस्तुत करें )

माँ दुर्गा के भजनों का विशाल संग्रह

Maa Durga bhajan video audio mp3 in hindi bhojpuri in voice of famous singer
माँ दुर्गा के भजनों का विशाल संग्रह

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माता की भेंटे – श्री नरेन्द्र चंचल जी

Narendra Chanchal mata ki bhete
श्री नरेन्द्र चंचल जी के प्रसिद्ध जगराता एवं माता के भजनों का संग्रह

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श्री दुर्गा भजन – श्री राकेश श्रीवास्तव जी

Rakesh Srivastava singer collection of Hindi and Bhojpuri devotional songs

श्री राकेश श्रीवास्तव जी के हिंदी एवं भोजपुरी भजनों का संग्रह

 

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माँ भगवती जागरण – श्री विनोद अरोरा जी

जय माँ झंडेवाली
दिल्ली के प्रसिद्ध भगवती जागरण गायक श्री विनोद अरोरा जी के जगरातों एवं भजनों का संग्रह

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​माँ थावेवाली की कथा – Maa Thawewali Ki Katha

Jai Maa Thawewali
जय माँ थावेवाली

माँ दुर्गा तीनो लोको में सर्व शक्तिमान है।  ब्रहमांड में मौजूद हर तरह की शक्ति इन्ही की कृपा से प्राप्त होती है और अंत में इन्ही में समाहित हो जाती है  इसीलिए माता दुर्गा को आदि शक्ति भी कहा जाता है देवताओ ने भी जब राक्षसों के साथ युद्घ में स्वयं को कमजोर महसूस किया तब माँ दुर्गा ने उनके शरणागत होने पर प्रचंड रूप धारण करके राक्षसों का संहार किया और देवताओ एवं धर्म की रक्षा की।

इस जगत की पालनहार माता ही है जिनकी कृपा से सबकुछ होता है। इसलिए इन को जगत जननी भी कहा जाता है। माँ दुर्गा अपने भक्तो और धरती पर धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए अनेक रूप के प्रकट हुई है । भक्तगण इनको अलग-अलग रूपों और अलग-अलग नामो से पूजते है । कोई शीतला माता, कोई काली माता, कोई मंगला माता तो कोई माँ वैष्णवी के रूप में पूजता है। माँ दुर्गा के अनेक रूप और नाम है। माँ के इन्ही अनेक रूपों और नमो में से एक माँ थावेवाली भी है।

बिहार राज्य के गोपालगंज शहर से मात्र 6 किलोमीटर की दुरी पर सिवान जानेवाले राष्ट्रिये राजमार्ग पर थावे नाम का जगह है वही माता थावेवाली का प्रसिद्द मंदिर है। माँ थावेवाली को सिंहासिनी भवानी, रहषु भवानी और थावे भवानी भी कहा जाता है।  माँ थावेवाली असम के कामरूप से जहाँ माँ कामख्या का बड़ा प्राचीन और भव्य मंदिर है थावे आई थी इसलिए इनको कावरू कामख्या भी कहा जाता है।

प्राचीन काल में थावे में माता कामख्या के बहुत सचे भक्त श्री रहषु भगत जी रहते थे। वो माता की बहुत सच्चे मन से भक्ति करते थे और माता भी उनकी भक्ति से प्रसन्न थी। माता की कृपा से उनके अन्दर बहुत सी दिव्य शक्तिया भी थी। लेकिन वहा के तत्कालीन राजा मनन सिंह को उनकी भक्ति पसंद नहीं थी। वो रहषु भगत जी को ढोंगी-पाखंडी समझते थे । एक दिन राजा ने अपने सैनिको को रहषु भगत जी को पकड़कर दरबार में लाने का आदेश दिया ।  दरबार में आने पर राजा ने रहषु भगत जी को ढोंगी-पाखंडी आदि अभद्र शब्दों का प्रयोग कर अपमानित किया और उनके माता के सच्चे भक्त होने का मजाक उडाया । रहषु भगत जी ने राजा को विनम्रता पूर्वक समझाया की माता की कृपा से ही मै सबकुछ करता हूँ और मेरी भक्ति से प्रसन्न होकर वो मुझे दर्शन भी देती है । राजा मनन सिंह के घर भी माता की पूजा होती थी लेकिन माता ने कभी दर्शन नही दिया था और चुकी रहषु भगत जी एक अछूत जाती के थे और माता उनको दर्शन देती है ये बात रहषु भगत जी से सुनते ही राजा अत्यंत क्रोधित हो उठे और भगत जी को चुनौती दिए की यदि तुम वास्तव में माता के सच्छे भक्त हो तो मेरे सामने माता को बुलाकर दिखाओ नहीं तो तुम्हे दंड दिया जायेगा । भगत जी ने राजा को बार-बार और विनम्रता पूर्वक समझाया की महाराज अगर माता प्रकट हो गई तो अनर्थ हो जायेगा इसलिए आप अपना हठ छोड़ दीजिये और सच्चे मन से माता की भक्ति कीजिये । लेकिन राजा मनन सिंह अपने हठ पर अडे रहे । अब भगत जी के पास माता को बुलाने के अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं बचा था । भगत जी ने माता का आह्वाहन किया । माता ने कामरूप से प्रस्थान किया और कोलकाता, पटना, आमी आदि स्थानों से होते जहाँ वो क्रमश: काली, पटनदेवी, अमिका भवानी आदि नमो से प्रसिद्ध है, थावे पहुची । माता ने भगत जी के मस्तक को फाड़कर अपना कंगन दिखाया । उनके आगमन से पुरे राज्य में प्रलय जैसी स्थिति हो गई । राजा और उनके राज-पाट का अंत हो गया ।

माता ने जहा दर्शन दिया वही उनके मंदिर का निर्माण किया गया । रहशु भगत जी मंदिर भी माता के मंदिर के पास ही है । यह कहा जाता है की माँ थावेवाली के दर्शन के पश्चात रहशु भगत जी का दर्शन भी अवश्य करना चाहिए तभी माता प्रसन्न होती है ।

माँ थावेवाली बहुत दयालु और कृपालु है । अपने शरण में आये हुवे सभी भक्तो का कल्याण करती है । हर सुख-दुःख में लोग माँ के शरण में जाते है और करुणामई माँ किसी को भी निराश नहीं करती है सबकी मनोकामना पूरी करती है । थावे के आस-पास किसी के घर शादी-व्याह जैसा शुभकार्य हो या किसी को कोई दुःख बीमारी हो हल परिस्थिति में लोग माता की शरण में जाते है और माता उनका कार्य सिद्ध करती है मंगल करती है । माँ हर घडी और हर सुख-दुःख में अपने भक्तो पर करुणा और ममता की छाँव रखती है ।
देश-विदेह में रहने वाले लोग जब साल-दो साल पर अपने घर आते है तो सबसे पहला और सबसे महतापूर्ण काम होता है माता थावेवाली का दर्शन करना । उनसे अपने और अपनों के लिए सुखद और समृद्ध जीवन की कामना करना । प्रतिदिन हजारो की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते है और अपनी मनोकामनाये पूरी करते है । परन्तु अफ़सोस इस बात की है की इतना अधिक आस्था और श्रधा का केंद्र होते हुवे भी इस स्थान का विकाश और व्यस्था जितना बढ़िया होना चाहिए उतना नहीं हुआ है । आज भी तीर्थयात्रियों के लिए दर्शन और विश्राम आदि की संतोषजनक व्यवस्था नहीं हो पायी है । और यह स्थान इतना प्रचीन होते हुवे भी एक क्षेत्र विशेष तक ही सिमित है । अतः आम जनता और प्रशासन को मिल-जुल कर माता के स्थान का समुचित विकाश और व्वस्था करना चाहिए ताकि थावे वाली माता का स्थान विश्व के मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन कर सामने आये ।

थावे की चर्चा हो तो वहा के प्रशिद्ध और अति स्वादिष्ट मिठाई पुडिकिया को कैसे भुलाया जा सकता है । आप जब भी थावे जाये पुदुकिया मिठाई अवश्य खाये ।

जय माता की !

– अजीत तिवारी
काशी टेंगराही, गोपालगंज
www.jaimaathawewali.com

 

मां दुर्गा के श्लोक व क्षमा प्रार्थना


Godess Navadurga

मां दुर्गा के श्लोक
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयम्‌ ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चंद्रघण्टेति कुष्मांडेति चतुर्थकं॥
पंचमं स्कंदमातेति, षष्टम कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति, महागौरीति चाष्टमं॥
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः॥

क्षमा प्रार्थना
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्‌।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत।
यां गतिं सम्वाप्नोते न तां बह्मादयः सुराः॥
सापराधो स्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके।
इदानीमनुकम्प्योहं यथेच्छसि तथा कुरु॥
अक्षानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्नयूनमधिकं कृतम्‌ ॥
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि॥
कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रेहे।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि॥
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतमं जपम्‌।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि॥