आज का पञ्चांग प्रतिदिन के लिए

शुक्रवार 22 सितंबर 2023 – आज की तिथि, नक्षत्र, वार, योग, सूर्य, चंद्रमा की स्थिती, सूर्योदय व सूर्यास्त का समय आदि की पूरी जानकारी

Aaj ka panchang

मालिनी अवस्थी जी के देवी गीत

Malini Aswathi bhakti songs, bhojpuri devi geet and bhajan
मालिनी अवस्थी जी के प्रसिद्ध जगराता एवं माता के भजनों का संग्रह

malini awasthi bhakti songs

https://www.youtube.com/watch?listType=playlist&width=474&height=266&list=PLXqUe_y7wDWC4gvnHapvjNi1z-nsPEC6e&plindex=0&layout=gallery

बलि प्रथा – एक घोर पाप

बलि प्रथा – एक घोर पाप

bali pratha ek ghor paap

 

जय माता की !

सनातन हिंदू धर्मं में कही भी इस बात की चर्चा नही की गई है किसी देवी-देवता को किसी पशु-पक्षी या अन्य जीव की बली देनी चाहिए या बली देने से मनोकामना पूर्ण होती है या बलि देना अनिवार्य है, फिर भी माँ दुर्गा या उनके अन्य रूपों को पशु-पक्षीयों की बली दी जा रही, वो माँ दुर्गा जिनको जगत-जननी कहा जाता है, मनुष्य, पशु-पक्षी आदी सभी जीव जिनके संतान है, जो ब्रह्मांड के सभी जीवो की परम ममतामई माँ है उनके ही सामने उनके संतानों की अंधविश्वासियों और धर्मान्धियों द्वारा गला रेत कर निर्दयता पूर्वक हत्या की जाती है, क्या अपने संतान की ये हालत देखकर माता को दुःख नही होता होगा ? क्या उनका कलेजा नही फटता होगा ? दुनिया की कोई भी माँ अपने संतान के आँख से आंशु का एक बूंद भी नही देख सकती फिर अपने ही संतानों की अपने आँखों के सामने हत्या होते देख कर वो जगत जननी माँ कितना दुखी होती होंगी ?

अपने व्यक्तिगत महत्वकंक्षाओं के लिए धर्मांध बनकर निर्दोष-बेजुबान पशु-पक्षीओं का बलि देना किसी भी दृष्टिकोण के उचित नहीं है | माता से कुछ मांगना ही है तो सच्चे मन से मांगे जैसे अपने माँ से आप मांगते है मातारानी अवश्य ही आपकी इक्षा पूरी करेंगी, पशु बलि देना जरुरी नहीं है अगर माँ को कुछ भेंट देना ही चाहते हैं तो उन्हें सच्ची श्रद्धा-भक्ति और सम्मान दीजिये, ममतामई माँ आपकी सभी मनोकामनाएं अवश्य ही पूर्ण करेंगी | यदि इसके अतिरक्त कुछ और भेंट करना चाहते है तो फल, पुष्प, नारियल, चुनरी आदि भेंट करें मातारानी अवश्य प्रसन्न होंगी एवं आपकी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगी |

जरा सोचिये क्या महान संतों जैसे तुलसी दास जी, स्वामी विवेकानंद जी, रहशु भगत जी, ध्यानु भगत जी आदि ने बलि दी थी क्या ?? बिल्कुल नहीं दी थी, फिर भी उन्होंने अपने आराध्य देव-देवी को अपनी भक्ति से प्रसन्न करके उनके साक्षात दर्शन किये |

हमारे वेदों-ग्रंथों में भी बलि निषेध है-

मा नो गोषु मा नो अश्वेसु रीरिष:।- ऋग्वेद 1/114/8
अर्थात- हमारी गायों और घोड़ों को मत मार

इममूर्णायुं वरुणस्य नाभिं त्वचं पशूनां द्विपदां चतुष्पदाम्।
त्वष्टु: प्रजानां प्रथमं जानिन्नमग्ने मा हिश्सी परमे व्योम।। – यजु. 13/50

अर्थात-  उन जैसे बालों वाले बकरी, ऊंट आदि चौपायों और पक्षियों आदि दो पगों वालों को मत मार

अतः आपसब से प्रार्थना है की इस कुप्रथा को समाप्त कराने में सहयोग करे, यदि कोई प्रथा बहुत लम्बे समय से चली आ रही हो तो यह जरुरी नहीं की उसे सुधारने के बजाय उसे हमेसा के लिए स्वीकार कर लिया जाये | जिस प्रकार हमारे देश से अनेक कुप्रथाएं जैसे की सती-प्रथा, बाल विवाह प्रथा आदि समाप्त की गयी है वैसे ही बलि प्रथा को भी समाप्त करना चाहिए |

ये बली देने का काम देश के कई अन्य मंदिरों के साथ-साथ थावेवाली माता के मन्दिर में भी होती है | आईये इस शुभ कार्य की शुरुआत माता थावेवाली के मन्दिर से करते है, लोगो को समझाते-बुझाते है की बली देना बंद करे और माता से क्षमा मांगे, करुनामई माँ उन्हें अवश्य क्षमा कर देंगी, आखीर कही–न-कही से शुरुवात करनी ही होगी तभी देश के बाकी हिस्सों में भी इसका अच्छा असर होगा और यह कुप्रथा समाप्त करने में मदद मिलेगी|

मित्रों आइये संकल्प ले की माता थावेवाली के मन्दिर में होनेवाले बली को अब और नही होने देंगे, बली देने वाले नासमझ लोगो को समझा-बुझाकर उन्हें सही रास्ते पर लायेंगे और जगत जननी माँ जगदम्बा के हिर्दय को अब और कष्ट नही पहुँचने देंगे |

आईये हम सब मिलकर बली देने वाले अपने मित्रो, परिजनों, पड़ोसियों एवं सगे-सम्बन्धियों आदि को जागरूक बनाये और ये घोर पाप और जघन्य अपराध करने से उन्हें रोके !

जय माता की !

माता थावेवाली की कृपा एवं आशीर्वाद से

अजित तिवारी
https://www.jaimaathawewali.com

(इस कुप्रथा को पूर्ण रूप से और यथाशीघ्र कैसे समाप्त किया जा सकता है आप अपना सुझाव अवस्य दिजिये| यदि आप बली प्रथा का समर्थन करते है तो इसके पक्ष में उचीत प्रमाण प्रस्तुत करें )

माँ दुर्गा के भजनों का विशाल संग्रह

Maa Durga bhajan video audio mp3 in hindi bhojpuri in voice of famous singer
माँ दुर्गा के भजनों का विशाल संग्रह

https://www.youtube.com/watch?listType=playlist&width=474&height=266&list=R_XbOtOe2Qg&list=PLuIXSbvI-DKYwXrd07n84t1oQ18dXFB4w&plindex=0&layout=gallery

भोजपुरी देवी गीत – श्री मनोज तिवारी ‘मृदुल’ जी

श्री मनोज तिवारी ‘मृदुल’ जी के प्रसिद्ध भोजपुरी देवी गीतों का संग्रह

https://www.youtube.com/watch?listType=playlist&width=474&height=266&list=PLXqUe_y7wDWBgAZqPT45ZWmKNa091Lavt&plindex=0&layout=gallery

माँ भगवती जागरण – श्री विनोद अरोरा जी

जय माँ झंडेवाली
दिल्ली के प्रसिद्ध भगवती जागरण गायक श्री विनोद अरोरा जी के जगरातों एवं भजनों का संग्रह

[embedyt] https://www.youtube.com/embed?layout=gallery&listType=playlist&list=PLuIXSbvI-DKY9dYN8skjuPFxFH9Mv8GoR[/embedyt]

मां दुर्गा के श्लोक व क्षमा प्रार्थना


Godess Navadurga

मां दुर्गा के श्लोक
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयम्‌ ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चंद्रघण्टेति कुष्मांडेति चतुर्थकं॥
पंचमं स्कंदमातेति, षष्टम कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति, महागौरीति चाष्टमं॥
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा प्रकीर्तिताः॥

क्षमा प्रार्थना
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्‌।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत।
यां गतिं सम्वाप्नोते न तां बह्मादयः सुराः॥
सापराधो स्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके।
इदानीमनुकम्प्योहं यथेच्छसि तथा कुरु॥
अक्षानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्नयूनमधिकं कृतम्‌ ॥
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि॥
कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रेहे।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि॥
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतमं जपम्‌।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि॥

श्रीदुर्गा चालीसा

Ambey Bhawani

श्रीदुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तन बीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥

आभा पुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। रिपु मुरख मोही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जियऊं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

श्रीदुर्गा जी की आरती

Mata Darbar

श्रीदुर्गा जी की आरती

जय अंबे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी । तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को । उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

कनक समान कलेवर, रक्तांबर राजै । रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी । सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती । कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत सम ज्योती ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे । मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी । आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैंरू ।बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता । भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

भुजा चार अति शोभित, वरमुद्रा धारी । मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अंबे गौरी…
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती । श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥
ॐ जय अंबे गौरी…

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे । कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥
ॐ जय अंबे गौरी…